सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

क्या हो रहा है हरियाणा में ?


आये दिन बलात्कार : ये हो क्या रहा है हरियाणा में? आये कुछ दिन बाद कहीं न कहीं सामुहिक बलात्कार की घटना. सम्मान के लिए हत्या, कन्या भ्रूण हत्या जैसे कलंकों के बाद यही कसर बची थी शायद. सोमवार को भिवानी में एक नाबालिग लड़की से सामुहिक बलात्कार का समाचार है. पिछले हफ्ते सोनीपत के गोहाना कस्बे में ग्यारहवीं कक्षा की एक छात्रा के साथ एक व्यस्त बाज़ार में कहीं बलात्कार की घटना हुई. इससे पूर्व जींद की महिला के घर तीन व्यक्तियों ने जबरदस्ती घुसकर उसके साथ बलात्कार किया. पीड़ित महिला का कहना है कि बलात्कारियों ने इस जघन्य कृत्य का वीडियो बनाया और धमकी दी कि अगर उसने मुंह खोला तो तो वे इस विडियो को सार्वजनिक कर देंगे. नौ सितम्बर को हिसार के एक गांव में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ आठ व्यक्तियों ने सामुहिक बलात्कार किया. यह मामला घटना के दस दिन बाद प्रकाश में आया था. इस दौरान पीड़ित लड़की अपने-आप में ही घुटती-मरती रही, जब बात बर्दाश्त से बाहर हो गई तो उसने अपने परिवारवालों के समक्ष रोते-बिलखते सारा घटनाक्रम रखा. परिवारजनों ने जब पुलिस में रपट दर्ज कराने का प्रयास किया तो पुलिस ने एफ.आई.आर. तक दर्ज नहीं की. बदनामी के डर से और बेटी के अपमान से टूट चुके बाप ने अगले दिन आत्महत्या कर ली. जब क्षेत्र के लोगों ने दोषियों के पकड़े जाने तक मृतक पिता का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया तो पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. इस घटना के बारे में भी खबर है कि आरोपियों ने बलात्कार का वीडियो क्लिप बनाकर उसे एम.एम.एस के ज़रिये अन्य लोगों तक पहुंचा दिया. बताया जा रहा है कि भिवानी में कल हुई इस जघन्य घटना के पश्चात हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ने सभी पुलिस कर्मियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी हैं. बलात्कार - क्या सिर्फ कानून और व्यवस्था का मसला है ? हरियाणवी समाज पितृसत्तात्मक मूल्यों में जकडा समाज है जहां औरत की स्थिति दोयम दर्जे की है. आर्थिक आंकड़ों के हिसाब से भले ही हरियाणा को अव्वल माना जाने लगा हो लेकिन साँस्कृतिक विकास के मामले में यह सूबा अब भी मध्य युगीन परम्पराओं को ढो रहा है. इन परम्पराओं की गाज लगातार गिरती रही है औरत पर या फिर दलित पर. हरियाणा के तमाम जनचेतना से लैस सामाजिक -सांस्कृतिक संगठनों व बुद्धिजीवियों को मौजूदा स्थिति पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता है. त्वरित कानूनी कार्यवाही से पीड़ित-परिवार के जख्मों पर फौरी तौर पर मरहम तो लगाया जा सकता है लेकिन समाज के इस नासूर से रिश्ते बदबूदार खून को रोकने के लिए बड़ी सर्जरी की आवश्यकता है.

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