दामिनी की मौत ने सबको विचलित कर दिया ,लेकिन उसने हम सब के सामने कुछ गंभीर प्रश्न भी खड़े कर दिए.कल कैथल के जाट ग्राउंड से जवाहर पार्क तक एक मौन या यूं कहें की रोष जुलूस निकला जिसमें तमाम संगठनों और शहर के सोचने-समझने वाले लोग शामिल हुए. आज तितरम गाँव में और तितरम मोड़ पर एक सभा हुई और एक परचा बांटा गया .पर्चा प्रस्तुत है आपके लिए. सोचें, बांटे और समाज को बदलने का प्रयास करें...
इस समाज को
लड़कियों के रहने लायक बनाओ
एक लडकी मर गयी..!
तो क्या हुआ...?
रोज़ लड़कियां मरती हैं. ..!!
नहीं, हम उस लडकी की बात कर रहें हैं जो 16 दिसम्बर
की रात को हैवानियत का शिकार हुयी. यह वह लड़की थी जिसे देश की राजधानी दिल्ली में
छ: वहशी लोगों के द्वारा रौंद डाला गया.
आप सब पिछले 12-14 दिनों से सुन
पढ़ रहे होंगे कि एक लड़की पहले दिल्ली और फिर सिंगापुर के एक अस्पताल में ज़िन्दगी
और मौत के बीच झूल रही थी और आखिरकार 28-29 दिसम्बर की
रात को उसने दम तोड़ दिया. मीडिया के माध्यम से हम इस लड़की को दामिनी के नाम से
जानते है. जो कुछ दामिनी ने झेला उसके समक्ष बलात्कार शब्द
बहुत छोटा पड़ जाता है.
“दामिनी” पहली
लड़की नहीं थी, और दामिनी आखिरी लड़की भी नहीं है. न जाने
कितनी दामिनियाँ
रोज़ लुटती-पिटती दम तोड़ देती हैं.
पिछले कुछ अरसे से
अख़बारों में रेप और गैंग रेप की घटनाएँ हम लगातार पढ़ रहे हैं. लोगों में आक्रोश
है, गुस्सा है, शर्म है...प्रशासन और पुलिस से शिकायत है.
लेकिन क्या यह
सिर्फ क़ानून व्यवस्था का मामला है? क्या सिर्फ सख्त कानून भर बना देने से ये
समस्या हल हो जाएगी?
क्या हमारे
सामाजिक ढाँचे का इसमें कोई दोष नहीं है?
क्या बचपन से
लड़की-लड़के में भेदभाव इसका कारण नहीं है?
क्या औरत को एक
सामान्य इंसान और नागरिक ना समझना इसका कारण नहीं है?
क्या पुरुषवादी
मानसिकता और व्यवहार इसके कारण नहीं हैं?
क्या परम्पराएं
इसका कारण नहीं हैं?
क्या बिगड़ता
लिंगानुपात इसका कारण नहीं?
क्या बढती
बेरोज़गारी और नौजवानों का बढ़ता उद्देश्यहीन जीवन इसका कारण नहीं?
क्या फूहड़
फ़िल्में और गाने इसका कारण नहीं?
अगर हम इन सवालों
के उत्तर नहीं खोजेंगे तो दामिनियों की अस्मत लुटती रहेगी...दामिनियाँ मरती
रहेंगीं.अब वक़्त आ गया है कि हम इन सवालों पर गौर करें क्योंकि दामिनियाँ हमारे घर
में ही हैं,हमारे पड़ोस में भी हैं..
आइये, इस समाज को
दामिनियों के रहने लायक बनाएं, ताकि इसे एक सभ्य और सुन्दर समाज कहा जा सके.
“संभव” – ( SOCIAL
ACTION FOR MOBILISATION & BETTERMENT OF HUMAN THROUGH AUDIO-VISUALS) द्वारा
जारी
फोन:9813272061, 9729486502,
9416203045