फरहत शहजाद की शायरी और मेहंदी साहब की मौसिकी दोनों के मिलन ने अदब और तहजीब को एक अलग ही ऊंचाई तक पहुंचाया .पेश है आपके लिए चाँद गज़लें...
तुम्हारे साथ भी तनहा हूँ....
{सुनने के लिए विडिओ के बीच में बने तीर के निशाँ को क्लिक करें}
कैथलनामा 'सम्भव' द्वारा संचालित साँझा मंच है. कैथल को सन्दर्भ में रखकर स्थानीय एवं मौखिक इतिहास,सांझी संस्कृति और साहित्य पर व्यापक विमर्श का यह एक छोटा सा प्रयास है.साथ ही हमारी कोशिश रहेगी कि आम नागरिकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कुछ सार्थक प्रयास भी कियें जाएँ.बुद्धिजीवियो,सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, मीडियाकर्मियों,विद्यार्थियों और जागरूक नागरिकों के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है..ऐसी हमारी उम्मीद है.
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