कैथलनामा 'सम्भव' द्वारा संचालित साँझा मंच है. कैथल को सन्दर्भ में रखकर स्थानीय एवं मौखिक इतिहास,सांझी संस्कृति और साहित्य पर व्यापक विमर्श का यह एक छोटा सा प्रयास है.साथ ही हमारी कोशिश रहेगी कि आम नागरिकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कुछ सार्थक प्रयास भी कियें जाएँ.बुद्धिजीवियो,सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, मीडियाकर्मियों,विद्यार्थियों और जागरूक नागरिकों के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है..ऐसी हमारी उम्मीद है.
मंगलवार, 11 सितंबर 2012
फरहत शहजाद का कैथल
सिरजन की आखिरी शाम को संस्कृतिकर्मी मित्र एवं वर्तमान में अतिरिक्त उपायुक्त, कैथल दिनेश सिंह यादव ने अपने कुछ संस्मरण साँझे किये. जाने-माने शायर फरहत शहजाद के पूर्वज मूलतः कैथल से थे और विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था. कुछ साल पहले फरहत अपने सखा दिनेश के साथ अपने पुरखों की मिट्टी को सजदा करने आये थे. जब दिनेश ने फरहत से पूछा कि आपको यहाँ आकर कैसा लग रहा है तो फरहत का जवाब था कि मुझे ऐसा लग रहा है मानों मैंने अपने अब्बू को हज करा दिया है. उल्लेखनीय है कि फरहत शहजाद की शायरी को मेहंदी हसन सहित कई कलाकारों ने अपनी आवाज दी है. हाल ही में हुई एक बातचीत में फरहत ने बताया कि जैसे ही मौका मिला वे एक बार फिर इस शहर में आना चाहेंगे. कैथल को फरहत की प्रतीक्षा है. सुनिए दिनेश सिंह यादव के संस्मरण और थोड़ी सी शायरी...
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