कैथलनामा 'सम्भव' द्वारा संचालित साँझा मंच है. कैथल को सन्दर्भ में रखकर स्थानीय एवं मौखिक इतिहास,सांझी संस्कृति और साहित्य पर व्यापक विमर्श का यह एक छोटा सा प्रयास है.साथ ही हमारी कोशिश रहेगी कि आम नागरिकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कुछ सार्थक प्रयास भी कियें जाएँ.बुद्धिजीवियो,सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, मीडियाकर्मियों,विद्यार्थियों और जागरूक नागरिकों के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है..ऐसी हमारी उम्मीद है.
सोमवार, 10 सितंबर 2012
पंजाबी लोक गीत-किकली कलीर दी
इस दौड़ते-भागते मिक्सिंग और फ्यूजन के दौर में हमारे परंपरागत लोकगीत कहीं लुप्त होते जा रहें है. कैथलनामा का प्रयास रहेगा कि हमारी मिट्टी से जुड़े और लोकजीवन से उपजे गीतों, कविताओं, मुहावरों, पहेलियों को समय-समय पर अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जाये. इस कड़ी में आज सबसे पहले प्रस्तुत है ताहिरा सैयद की आवाज में पंजाबी लोकगीत किकली कलीर दी...(सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक के प्ले बटन पर क्लिक करें, अगर आपका कनेक्शन स्लो है तो बफर होने में कुछ क्षण लग सकते हैं, प्रतीक्षा करें)
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क्या कहने मुकेश जी, आनंद आ गया
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