ममता ने साबित कर दिया है कि लड़कियां शारीरिक रूप से कमजोर नहीं होतीं. लड़कियों को अगर सही खान – पान मिले, सही प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन मिले, उनके परिवार और समाज का समर्थन मिले और सबसे बड़ी बात की उनपर भरोसा किया जाए, तो वे आसमान भी छू सकती हैं. पर्वतारोहण जैसे बेहद कठिन, अत्यधिक शारीरिक मेहनत वाले, निहायत धैर्य और जोखिम भरे कैरियर में तीन चोटियाँ फतह करने के बाद, भी ममता का हौसला बुलंद है. हरियाणा जैसे राज्य जहां बेटियों की भयंकर दुर्दशा है, ममता हम सबके लिए रोशनी बन कर आयी हैं. बाज़ार और पूंजी के सेवक जब लड़कियों को “मिस वर्ल्ड” बनने के सपने दिखा रहें हैं, ऐसे में ममता लड़कियों और हम सबके लिए बेहतरीन आदर्श हैं. माउंट एल्ब्रेस फतह कर लौटने पर “कैथलनामा” ममता, और उनके परिवार को सलाम करता है और भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है.
* (बॉक्स न्यूज़-दैनिक भास्कर के सौजन्य से )
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