ऐ हुस्न हकीकी - नूर - ए - असल
---अरीब अजहर
कौन
कहता है कि हिन्दुस्तानी उपमहाद्वीप से गंगा – जामुनी तहजीब खत्म
हो गई है... पाकिस्तान के नागमानिगार और
गायक अरीब अजहर गाते हैं—
ऐ हुस्न - हकीकी – नूर – असल
तनु बादल बरखा दाज कहूँ
तनु आब कहूँ तनु ख़ाक कहूँ
तनु दसरत लिछमन राम कहूँ
तनु किसन कन्हैया कान कहूँ
तनु ब्रह्मा किशन गणेश कहूँ
महादेव कहूँ भगवान कहूँ
तनु नूह कहूँ तूफ़ान कहूँ
तनु इब्राहिम खलील कहूँ
तनु मूसा बिन इमरान कहूँ
तनु सुर्खी बीड़ा पान कहूँ
तनु तबला तय तम्बूर कहूँ
तनु ढोलक सुर तय तान कहूँ
यह गीत, यह शायरी हिंदू की है या मुसलमान की ? यह शायरी हिन्दुस्तान की है या पाकिस्तान की? इसे हम कैसे बाँट सकते हैं ? यहाँ तो कृष्ण - कन्हैया , मूसा,
इब्राहिम से लेकर गीत - संगीत और सबसे बड़ी बात मिली – जुली तहजीब में रचा-पगा इंसान तक सांझा है . भक्ति, सूफी , इश्क , मोहब्बत में डूबा ,
अल्लाह, मूसा, राम और कन्हैया से गुफ्तगू
करता, अनहद की ऊंचाइयों तक
पहुंचाता पेश है अरीब अजहर का यह नगमा कैथलनामा की ओर से ---
( सौजन्य : कोक स्टूडियो )
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